वीरांगना
आओ आज सुनाता एक कहानी ,
सावॅल सा तन था जिसका ,
मन में दया की ख़ान भरी थी ,
आँखो में अपना खाब लिए ,
आजादी के लिए खूब लड़ी थी ,
तलवार चलाती जब दोनों हाथों से ,
बिजली सी वो लग रही थी ,
आओ सुनाता एक कहानी ,
एक थी बड़ी वीरागंना रानी ,
लाखो सरों को काट गिराती ,
कितनो को मरघट पहुँचाती
फ़िरंगियों के रक्त की धार बहाती ,
रढ़ में वह विचर रही थी ,
झाँसी के राढ़ में वह वीरगंना लड़ रही थी ,
काल बनकर बरस रही थी ,
वो तलवारों की रानी थी
झाँसी की महारानी थी
आज सुनाता एक विजय कहानी ,
एक थी बड़ी वीरांगना नारी ,
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