Tuesday, April 1, 2014

क्या लिखू

                                         क्या लिखू 

     क्या लिखू ,
     अब शब्द नहीं मिलते ,
     जब ढूढ़ता हुँ ,
     अशब्द ही मिलते ,
  
    जब देखता हुँ ,
    विश्व शब्द हीन दिखता ,
    विश्व में शब्द का भण्डार है ,
    फिर क्यों छाया यह अंधकार है ,
    
     कहाँ गई वह विचारधारा ,
     वह शब्दो की रेखाए ,
     विश्व में  अपशब्दो का भण्डार बढ़ता ही जाता ,
     जेसे शब्दो कोई निगलता ही जाता ,
   
      उच्च विचारो की प्रवत्ति ,
     अब शून्य हो चुकी इस विश्व में ,
     समुद्र है अशब्द का शब्द अब बूँद में इस विश्व में ,
    क्या लिखू अब शब्द नहीं मिलते इस विश्व में ,

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