स्वप्न।।।।।।।।
न दर्द है प्रेम में ,
न दर्द है घात में ,
दर्द है केवल
स्वप्न के अल्प्विराम में ,
न इच्छा है स्वर्ण की ,
न इच्छा है चाँदी की ,
इच्छा है केवल
स्वप्न के साक्षात्कार की ,
न डर है यमराज से ,
न डर है हमराज़ से ,
डर है केवल
स्वप्न के पूर्णविराम से ,
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