Friday, April 4, 2014

स्वप्न


                                          स्वप्न।।।।।।।।







न दर्द है प्रेम में ,
न दर्द है घात में ,
दर्द है केवल
स्वप्न के अल्प्विराम में ,

      न इच्छा है स्वर्ण  की ,
      न इच्छा है चाँदी की ,
      इच्छा है  केवल
      स्वप्न के साक्षात्कार की ,

न डर है यमराज से ,
न डर है हमराज़ से ,
डर है केवल
स्वप्न के पूर्णविराम  से ,

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