poet's poem
Wednesday, April 2, 2014
एक कविता
आज मै बहुत रोया ,
न किसी को याद कर ,
न किसी को प्यार कर,
मै रोया अपनी ,
सौ बार सुधारी कविता को ,
एक बार फाड़ कर ,
मैने जिसमें ज़जबात बया किये ,
जिसको लेकर रात में सोया ,
आज उसके लिए मै बहुत रोया ,
,,,,,आज मै बहुत रोया,
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