Tuesday, April 11, 2017

प्रकृति की उंगलियां

उंगलिया पकड़ लो
और दिखा दो बचपन ए को
इस प्रकृति के भोर
के तारो को

अस्तित्व हनन
उनका जिन्होंने
जिह्नोने तम को
रौशन किया

प्रकृति की मधुर वीणा पर
नाचता हुआ नृतकप्रिय
मोहता जग को
प्रकृति की उंगली पकड़

Thursday, March 16, 2017

सितारों की बग्गी

यह रात बिना चाँद की,
फिर क्यू यह सितारों का मेला,
आज लगे कुछ आसमा अकेला,

हमेशा जो आता था
सितारों की बग्घी मे,
फिर अकेले क्यों आये,
सितारें चाँद को छोड़ कर, ( आशु )

Coming soon more......

GOOD night

लकीरो का चाँद

कुछ अन छुई सी ज़िंदगी
कुछ अनछुए से पल
कुछ दबी हुई
अतीत की यादें
आज सहसा आप ने
जगा दिए

ओह रात रात भर
चाँद को देखकर
अपने सपनें सजोने
वो अपनी उंगली से
असमा पर लकीरे बनाना
वो तारो को गिन कर
फिर भूल जाना। 
(आशु)

Wednesday, March 15, 2017

यादें

मन भी बड़ा चंचल ,
कभी उदास , कभी निराश,
कभी टूटती आशाए,
कभी उत्त्साह की लहर दिखाए।

कभी पहुँच जाए उन यादों पर,
जो दिल मे एक ख़ुशी ले आए,
कभी कभी अतीत पन्नें ,
बार बार उही दिखलायें,

कभी बचपन की उन गलियो मे,
जाकर अपनों से मिल आए,
कभी धुंधली सी तस्वीरें ,
उन शरारतों की दिखलाए,

कभी माँ के हाथ की रोटी,
कभी वह स्वाद ले आये,
कभी लोरियों की याद ले आए
कभी वो आँचल की ठंडक,
कभी माँ के गोद की याद दिलाये,

आशु

किसानी

नजारो का मज़ा तो ख़ूब लिया।
अब किसानो से पुछो
बारिस ने कमर तोड़ दिया
हम खूब भीगें बारिस मे
पर उनका क्या जो पसीनें
से भीग कर आनाज उगाते है
आज आँशु भी नहीं है
आँखो में
इस मौसम वो भी सोक लिया। (आशु)

Saturday, February 4, 2017

इक इन्तिहाँन

उठो चलो ,
बदलो खुद को
समाज को
फैली बुराइयों को
मिटा दो ,
कुछ अहसाहो
के लिए हाथ बढ़ा दो
रो मत
तुमको बदलना है

उठो लड़ो
खुद के लिए
दुसरो से बेहतर
खुद को बना लो
हाथो की लकीरें
मत देख
उसको एक दिन
बिगड़ना है

उठो लड़ो
जब तक न थको
हार को हार में
बदलना है
रुको मत
उठो बदलो
खुद को
अभी तो तुमको
पूरा जहाँ बदलना है

यह इक इंतिहा है
ज़िन्दगी का
कुछ पाने  का
कुछ कर दिखाने का
मत सोचो
बस लड़ पड़ो
फिर चल पड़ो
गिरो उठो
फिर दौड़ पड़ो (आशु)

Wednesday, February 1, 2017

वक्त

एक दिन यह चेहरा भी
बदल जयेगा,
इन झील सी आँखो में
मोतियाबिंद हो जायेगा,
चेहरे की लालिमा मिट जायेगी,
इन हाथो मे झुर्रिया आ जाएगी,

जो करी थी दोस्तों के संग पार्टी -सार्टी,
वो ईस्वर की भक्ति मे बदल जायेगा,
क्या है
जीवन यह तब समझ आएगा,
जब कोई अपना
अपनी आँखो के सामने मर जयेगा,

आज हम दोस्ती भी करते है
चेहरे देख कर,
उनका चेहरा भी बदल जायेगा,
कुछ नहीं होगा हाथ में ,
खली हाथ ही जहाँ से रुक्सत हो जायेगा,

बस तेरा नाम रह जायेगा,
कुछ अच्छे कामो के साथ,
बस तेरा नाम रह जायेगा, 

Monday, January 23, 2017

कोशिश

मुझे नहीं उड़ना आसमां पर
बस धरा में चलने की
कोशिश कर रहा हु मै

बहुत जी लिया आपने लिए
अब दूसरे के लिए कुछ करने की
कोशिश कर रहा हूं मै
कई बार टूटा हूं  फिर
जुड़ने की कोशिश कर रहा हूं मैं
नहीं जानता मैं  भविष्य अपना

पर कुछ-कुछ  गैरों के
भविष्य की योजना बना रहा हूं मै
अगर चलना ही कर्तव्य है तो
एक नव पथ का निर्माण कर रहा हूं मै

शायद कोई चलेगा एक दिन
मेरे द्वारा निर्मित पथ पर 
मुझे नहीं उड़ना आसमां पर
अभी तो जमी में चलने की
कोशिश कर रहा  हूं मैं 


पंख तो दिए हैं हौंसलों के

अभी फड़फड़ाने की 

कोशिश कर रहा हूं मै

मुझे नहीं चलना गैरों के पथों पर
स्वयम पथ का निर्माण कर रहा हूं
मुझे नहीं उड़ना आसमां पर
अभी तो ज़मी पर चलने की
कोशिश कर रहा हूं

जब भी लोग जीते हैं केवल
खुद के लिए फिर सोचता हूं
दूसरों के लिए इस छोटी सी
जिंदगी को अमर करने की
कोशिश कर रहा हूं मैं

गैरों के लिए एक पथ
निर्माण कर रहा हूं मै
मुझे नहीं  उड़ना आसमां पर
अभी तो धरा पर चल रहा हूं मैं

वह रे इंसान

हमने इंसान को
बिना कपडे के ठिठुरते देखा
और बेजान पुतलो को
मलमल लपेटे देखा

राह पर अपनों को
ठोकर मारते देखा
और गैरो को अपना बनाते देखा

माँ को ममता को
ठुकराते हुए देखा
और जनवरो में ममता को
उमड़ते हुए देखा

हमने अभी क्या देखा
पत्थर पूजने के लिए
कोसों नंगे पाओ चलते देखा
पर इंसान को इंसान बनते न देखा(आशु)

Saturday, January 21, 2017

चाँद बिन रात

रात है बिन चाँद की,
फिर क्यू सितारों का मेला है
लग रहा आसमा
कुछ अकेला है

हमेशा तो आता था
सितारों की बग्घी मे बैठकर
फिर आज अकेले क्यों आये,
सितारें चाँद को छोड़ कर,

लग रहा कोई गिला
चाँद से हो गयी होगी
अपनी चाँदनी में
चूर तो रहता था रातभर

आज फिर क्यों उदास
होकर घर पर बैठ गया