कुछ अन छुई सी ज़िंदगी कुछ अनछुए से पल कुछ दबी हुई अतीत की यादें आज सहसा आप ने जगा दिए ओह रात रात भर चाँद को देखकर अपने सपनें सजोने वो अपनी उंगली से असमा पर लकीरे बनाना वो तारो को गिन कर फिर भूल जाना। (आशु)
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