Saturday, February 4, 2017

इक इन्तिहाँन

उठो चलो ,
बदलो खुद को
समाज को
फैली बुराइयों को
मिटा दो ,
कुछ अहसाहो
के लिए हाथ बढ़ा दो
रो मत
तुमको बदलना है

उठो लड़ो
खुद के लिए
दुसरो से बेहतर
खुद को बना लो
हाथो की लकीरें
मत देख
उसको एक दिन
बिगड़ना है

उठो लड़ो
जब तक न थको
हार को हार में
बदलना है
रुको मत
उठो बदलो
खुद को
अभी तो तुमको
पूरा जहाँ बदलना है

यह इक इंतिहा है
ज़िन्दगी का
कुछ पाने  का
कुछ कर दिखाने का
मत सोचो
बस लड़ पड़ो
फिर चल पड़ो
गिरो उठो
फिर दौड़ पड़ो (आशु)

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