उंगलिया पकड़ लो और दिखा दो बचपन ए को इस प्रकृति के भोर के तारो को
अस्तित्व हनन उनका जिन्होंने जिह्नोने तम को रौशन किया
प्रकृति की मधुर वीणा पर नाचता हुआ नृतकप्रिय मोहता जग को प्रकृति की उंगली पकड़
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