वो चाँद को पलट कर देख ,
चाँदनी का गुरुर उसे,
उधार की रोशनी से,
सिंगार जो कर रहा,
अपने रूप के गुरूर मे,
चूर अब हो रहा,
आसमा मे नहीं टिक रहा ,
मेरे साथ साथ चल रहा,
हर कदम पर मेरे
नज़र वो देख रख रहा,
कभी प्रीतम कभी मामा ,
बन साथ साथ रह रहा ,
उधार की रोशनी से,
जो जीवन वृतीत कर रहा ,
बहरुपिया चाँद,
देख रिश्ते भी जो बदल रहा,
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