Thursday, December 29, 2016

एक प्रेम

एक फूल उगा
पत्थर के दर्मिया
समय गुज़रा
प्रेम बढ़ता गया
पत्थर पत्थर ही निकला
रक्ततप्त होकर
पुष्प को जला दिया
उसकी अस्थियों को
वायु में उड़ा दिया
समय गुज़रा
पत्थर बृद्ध हो गया
काई से नाहा कर
रंग को भी त्याग दिया
फिर कोपल फूटी
फूल फिर निकला
अब उसकी बाहों (जड़ो) ने
उसको आगोश में ले लिया (आशु)

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