Friday, December 16, 2016

ये ज़िन्दगी

ये जन्दगी रुक जा अभी
कुछ और खा लू
माँ हाथों की रोटियां
फिर तो भागना ही है
सब छोड़कर जाना ही है

ये जिंदगी रुक जा अभी
कुछ देर और खेल लू
अपने पुराने यारो के साथ
फिर न जाने कब मिलेगे

ये जन्दगी रुक जा अभी
कुछ कास्तियां छोड़नी है
उस दरिया के पानी में
सारा दिन जहाँ नहाया करते थे

ये जिंदगी रुक जा अभी
बरसात आने की वाली है
वो सोंधी महक
फिर छाने वाली है

ये जिंदगी रुक जा अभी
गाँव में फिर हरियाली
आने वाली है
कोयल फिर गाने वाली है

ये जिंदगी रुक जा ज़रा ....

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