Saturday, October 28, 2023

चन्द्र ग्रहण 2023

आज मैं आपको चंद्र ग्रहण के दौरान जप करने वाला सबसे शक्तिशाली मंत्र के विषय में बताने जा रहा हूं यह मंत्र इतना शक्तिशाली है कि इस मंत्र को जपने से आप ग्रहण के दुष्परिणामों से बचे रहेंगे एवं आपके आराध्य कुल देवता और आपके पितृ आपसे प्रसन्न हो जाएंगे । इस मंत्र का प्रयोग करने से आपको अपने कुंडली के देशों से भी मुक्ति मिलेगी क्योंकि चंद्रमा मन का कारण है और जब मन में ग्रहण लगता है तो विचार भ्रमित होते हैं और जब विचार भ्रमित होते हैं तो व्यक्ति सही निर्णय नहीं ले पता है और वह गलत राह में चला जाता है जिससे उसकी धन - शरीर हानि और नाना प्रकार की हानियां होती हैं इसलिए चंद्र ग्रहण के दिन इस मंत्र का प्रयोग करना चाहिए साथ में आप अपने आराध्य के नाम का भी एक माला जप कर सकते हैं वह जप आप अपनी इच्छा अनुसार कर सकते हैं लेकिन चंद्र ग्रहण के दौरान इस मंत्र का एक माला जप अवश्य से अवश्य करना चाहिए और यदि आपके गुरु ने कोई विशेष मंत्र आपको दिया है तो आप उसका प्रयोग कर सकते हैं लेकिन सामान्य व्यक्तियों को एक माला यह 11 बार 21 बार 51 बार इस मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए इससे आपका चंद्रमा मजबूत होता है और ग्रहण से पढ़ने वाले दोषो से मुक्ति मिलती जाती है

, "ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः चंद्रमसे नमः" (Om Kram Krim Kraum Sah Chandramase Namah)।

Friday, October 27, 2023

माँ

हे रक्तवर्णा , कामेश्वरी
कालिके परमेश्वरी

हे ललिताम्बिका , लीलेस्वरी 
महाविद्या राजराजेश्वरी

हे त्रिनेत्रा , त्रिपुरेश्वरी
महादेवी परमेश्वरी

हे नीलवर्णा , नीलेश्वरी
योगनी योगयोगेश्वरी

हे चतुरहस्ता , षोडश्वरी
पंचप्रेत प्रेतेश्वरी

हे रक्तवर्णा , रक्तदानवविनाश्वरी
भगमालिनी वर्जेश्वरी 

हे ब्रह्माण्डनी , त्रिलोकेश्वरी 
महाविधा कामकामेश्वरी

हे उग्रा महौग्रेश्वरी
कालिके भक्तेश्वरी 


Friday, October 19, 2018

हिंदू


सिंह की भाँति चल
अन्याय को तू कुचल
ह्दय में देश प्रेम ले
समाज को बदल
संस्कार को जीवंत कर
हिँदुत्व की राह पर चल (आशु)

Thursday, September 13, 2018

हिंदी बिना हिंद

रो रही है हिंदी
आज के हिंद मे
माँ की लोरियां
वो नानी की कहानियां
गुम है किताबो में
मर रही है हिंदी
रो  रही है हिंदी
यह हिन्द है
पर यहाँ हिंदी नही
भाषाओं के चक्रव्यूह में
अब बिंदी नहीं
रो रही है हिंदी
आज के हिंद में (आशु)

Tuesday, April 11, 2017

प्रकृति की उंगलियां

उंगलिया पकड़ लो
और दिखा दो बचपन ए को
इस प्रकृति के भोर
के तारो को

अस्तित्व हनन
उनका जिन्होंने
जिह्नोने तम को
रौशन किया

प्रकृति की मधुर वीणा पर
नाचता हुआ नृतकप्रिय
मोहता जग को
प्रकृति की उंगली पकड़

Thursday, March 16, 2017

सितारों की बग्गी

यह रात बिना चाँद की,
फिर क्यू यह सितारों का मेला,
आज लगे कुछ आसमा अकेला,

हमेशा जो आता था
सितारों की बग्घी मे,
फिर अकेले क्यों आये,
सितारें चाँद को छोड़ कर, ( आशु )

Coming soon more......

GOOD night

लकीरो का चाँद

कुछ अन छुई सी ज़िंदगी
कुछ अनछुए से पल
कुछ दबी हुई
अतीत की यादें
आज सहसा आप ने
जगा दिए

ओह रात रात भर
चाँद को देखकर
अपने सपनें सजोने
वो अपनी उंगली से
असमा पर लकीरे बनाना
वो तारो को गिन कर
फिर भूल जाना। 
(आशु)