Monday, January 23, 2017

कोशिश

मुझे नहीं उड़ना आसमां पर
बस धरा में चलने की
कोशिश कर रहा हु मै

बहुत जी लिया आपने लिए
अब दूसरे के लिए कुछ करने की
कोशिश कर रहा हूं मै
कई बार टूटा हूं  फिर
जुड़ने की कोशिश कर रहा हूं मैं
नहीं जानता मैं  भविष्य अपना

पर कुछ-कुछ  गैरों के
भविष्य की योजना बना रहा हूं मै
अगर चलना ही कर्तव्य है तो
एक नव पथ का निर्माण कर रहा हूं मै

शायद कोई चलेगा एक दिन
मेरे द्वारा निर्मित पथ पर 
मुझे नहीं उड़ना आसमां पर
अभी तो जमी में चलने की
कोशिश कर रहा  हूं मैं 


पंख तो दिए हैं हौंसलों के

अभी फड़फड़ाने की 

कोशिश कर रहा हूं मै

मुझे नहीं चलना गैरों के पथों पर
स्वयम पथ का निर्माण कर रहा हूं
मुझे नहीं उड़ना आसमां पर
अभी तो ज़मी पर चलने की
कोशिश कर रहा हूं

जब भी लोग जीते हैं केवल
खुद के लिए फिर सोचता हूं
दूसरों के लिए इस छोटी सी
जिंदगी को अमर करने की
कोशिश कर रहा हूं मैं

गैरों के लिए एक पथ
निर्माण कर रहा हूं मै
मुझे नहीं  उड़ना आसमां पर
अभी तो धरा पर चल रहा हूं मैं

वह रे इंसान

हमने इंसान को
बिना कपडे के ठिठुरते देखा
और बेजान पुतलो को
मलमल लपेटे देखा

राह पर अपनों को
ठोकर मारते देखा
और गैरो को अपना बनाते देखा

माँ को ममता को
ठुकराते हुए देखा
और जनवरो में ममता को
उमड़ते हुए देखा

हमने अभी क्या देखा
पत्थर पूजने के लिए
कोसों नंगे पाओ चलते देखा
पर इंसान को इंसान बनते न देखा(आशु)

Saturday, January 21, 2017

चाँद बिन रात

रात है बिन चाँद की,
फिर क्यू सितारों का मेला है
लग रहा आसमा
कुछ अकेला है

हमेशा तो आता था
सितारों की बग्घी मे बैठकर
फिर आज अकेले क्यों आये,
सितारें चाँद को छोड़ कर,

लग रहा कोई गिला
चाँद से हो गयी होगी
अपनी चाँदनी में
चूर तो रहता था रातभर

आज फिर क्यों उदास
होकर घर पर बैठ गया