देखा है कितनो ने मंजिलो की,
दौड़ में अपनों को छोड़ दिया,
हमसे भी कहते है,
जाओ कुछ कर दिखाओ,
अपनों से थोड़ा दूर हो जाओ,
नहीं तो कुछ नहीं कर पाओगें,
जहाँ जो वहाँ पर रह जाओगे,
अगर अपनों को खोकर,
जहाँ पा लिया तो क्या फायदा,
दो मृदु जल के कुँए खोकर,
समंदर पा लिया तो क्या फायदा,
हम भी उठेगें
बस अभी ठानी नहीं है,
इसका मतलब यह नहीं ,
की हमारे सपनों
की कोई कहानी नही है,
पढ़ लेना जब इतिहास के,
पन्नों में लिखी जाये क़ामयाबी मेरी,
देख लेना जब तुंम्हारे ,
बच्चों के सेल्बेस मे आये कहानी मेरी,(आशु)
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