शहीदों को एक दिन,
नमन पर्याप्त नही ,
न जाने कितने सुखदेव भगतसिंह ,
हँसते -हँसते फ़ांसी चढ़ गए ,
उनको एक दिन,
नमन पर्याप्त नही ,
कितनी मओ की कोख उजड़ गयी ,
कितनो के सिंदूर जो मिट गए ,
उनको एक दिन,
नमन पर्याप्त नही ,
अंतिम क्षण तक जो लड़े ,
रणभूमि जो शहीद हुए ,
नमन करो उन्हें हर दिन हर पल ,
उनको एक दिन, नमन पर्याप्त नही,
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