Sunday, August 24, 2014

मधुवन की मधुशाला

                                        मधुवन की मधुशाला

मधुवन की मधुशाला,
सब लिए फिरे मधुप्याला ,
फिरे मतंग छलकाते प्याला ,
वह रे मधुवन की मधुशाला,

मधु के भी खेल निराले ,
तोड़ दिए सरे बंधन ताले ,
पंडित पादरी और वो काजी ,
मधुशाला के सब मधुसाथी ,

मधुशाला की मधुकुंज में ,
सभी दिखे एक पुंज में ,
 फिरे लिए सब मधुप्याला,
 वह रे मधुवन की मधुशाला,

Tuesday, August 12, 2014

नमन.....


                 

शहीदों को एक दिन,
नमन  पर्याप्त नही ,
न जाने कितने सुखदेव भगतसिंह ,
हँसते -हँसते  फ़ांसी चढ़  गए ,

 उनको एक दिन,

 नमन  पर्याप्त नही ,

कितनी मओ की  कोख उजड़ गयी ,
कितनो के सिंदूर जो मिट  गए ,
 उनको एक दिन,
 नमन  पर्याप्त नही ,

अंतिम क्षण तक जो लड़े ,
रणभूमि जो शहीद हुए ,
नमन करो उन्हें हर दिन हर पल ,
उनको एक दिन, नमन  पर्याप्त नही,



Sunday, August 10, 2014

रेशम का धागा

                                                         रेशम का धागा। ...................


यह कितना अजीब है ,
की एक रेशम का धागा ,
दिल के इतना करीब है ,
यह कितना  अजीब है ,

खुश है वो जिनके वीर है ,
दूर रहने वाले भी ,
दिल के करीब है ,
यह रेशम  का बंधन ,
कितना  अजीब है  

शायद  प्रेमरीत है,
 इस  रेशम के धागे में,
पिरोया हुआ प्रेम संगीत है 
यह राखी कितनी अजीब है ,

ओह बहन का  रूठ जाना ,
फिर  मानकर,
विजय तिलक  लगाना ,
एक रेशम से बध जाना ,
रेशम  बंधन कितना  अजीब  है ,