काश.…।
काश यह कलम तलवार होती ,
तो हम भी हाथ लाल कर लेते ,
कुर्बान कर देते ,
हिंसक सरो को ,
पत्थर से ह्यद को ,
मोम सा काट देते ,
खौफ़ के हैवान की ,
भुजाएं उखाड़ देते ,
हम भी हाथ लाल कर लेते।
इज्जत के भेडियो को ,
जड़ मूल से उखाड़ देते ,
खौफ़ के शहर से
खौफ़ को मिटा देते ,
काश यह कलम तलवार होती।
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