Friday, June 13, 2014

हैवानियत

                                       हैवानियत

हैवानियत का शहर 
यह जहन्नुम का है  यह आलम 

भेड़ियो  से भरा ,
शायद इंन्सा कोई न बचा ,
 
मासूम सी कितनी जिंदगिया,
लटकते फंदो में सिमट गई ,
खून के आशू ,अपनों का गम,
राजनीत की भेंट चढ़ गई ,

हैवानियत का शहर में ,
हैवानियत के दो केश और बढ़ गए ,
दिन गुजरा सब सो गए 
भेड़िये शिकार कर,
फिर फरार हो गए ,

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