हैवानियत
हैवानियत का शहर
यह जहन्नुम का है यह आलम
भेड़ियो से भरा ,
शायद इंन्सा कोई न बचा ,
मासूम सी कितनी जिंदगिया,
लटकते फंदो में सिमट गई ,
खून के आशू ,अपनों का गम,
राजनीत की भेंट चढ़ गई ,
हैवानियत का शहर में ,
हैवानियत के दो केश और बढ़ गए ,
दिन गुजरा सब सो गए
भेड़िये शिकार कर,
फिर फरार हो गए ,
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