Thursday, March 16, 2017

सितारों की बग्गी

यह रात बिना चाँद की,
फिर क्यू यह सितारों का मेला,
आज लगे कुछ आसमा अकेला,

हमेशा जो आता था
सितारों की बग्घी मे,
फिर अकेले क्यों आये,
सितारें चाँद को छोड़ कर, ( आशु )

Coming soon more......

GOOD night

लकीरो का चाँद

कुछ अन छुई सी ज़िंदगी
कुछ अनछुए से पल
कुछ दबी हुई
अतीत की यादें
आज सहसा आप ने
जगा दिए

ओह रात रात भर
चाँद को देखकर
अपने सपनें सजोने
वो अपनी उंगली से
असमा पर लकीरे बनाना
वो तारो को गिन कर
फिर भूल जाना। 
(आशु)

Wednesday, March 15, 2017

यादें

मन भी बड़ा चंचल ,
कभी उदास , कभी निराश,
कभी टूटती आशाए,
कभी उत्त्साह की लहर दिखाए।

कभी पहुँच जाए उन यादों पर,
जो दिल मे एक ख़ुशी ले आए,
कभी कभी अतीत पन्नें ,
बार बार उही दिखलायें,

कभी बचपन की उन गलियो मे,
जाकर अपनों से मिल आए,
कभी धुंधली सी तस्वीरें ,
उन शरारतों की दिखलाए,

कभी माँ के हाथ की रोटी,
कभी वह स्वाद ले आये,
कभी लोरियों की याद ले आए
कभी वो आँचल की ठंडक,
कभी माँ के गोद की याद दिलाये,

आशु

किसानी

नजारो का मज़ा तो ख़ूब लिया।
अब किसानो से पुछो
बारिस ने कमर तोड़ दिया
हम खूब भीगें बारिस मे
पर उनका क्या जो पसीनें
से भीग कर आनाज उगाते है
आज आँशु भी नहीं है
आँखो में
इस मौसम वो भी सोक लिया। (आशु)