तेरी आग़ोश में जहाँ दिखा प्रेम की झलक स्वप्नो की ललक दिखी
स्पर्श मात्र ही रूह की सिहरन को जगा गयी कुछ अरमानों के स्वप्न सार्थक हो गए
यह स्पर्शी प्रेम तेरी आग़ोश में रोम रोम में अहसाह अपन्त्व का
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