Wednesday, June 15, 2016

काग़जी नौका

बारिश की चार बूँद
गिर कर  हम पर यूँ लगी
जलते रेगिस्तान सा ह्दय
दरिया में बदल गया,
मन भी सरारत को
मचल उठा

कागज को मोड़ कर
दो कोने छोड़ कर
फिर मोड़ कर
उस जल धार में छोड़ दिया

वो कागज़ी नैका
बहती गयी बहती गयी
आँगन को छोड़ कर,
डेहरी के मोड़ तक,

फिर वो -
दरवाज़े में अटक गई
थोड़ी राह से भटक गयी
वो कागज़ी नौका
मेरे हाथ में समिट गयी

Thursday, June 9, 2016

पीड़ित पत्रकार

एक लड़ाई है कलम की
मै सैनिक हूँ कलम का
कमजोर बना दिया जग ने
अब कलम टूट कर गिरती है
लिख कर सत्य राह बदलती
अब कलम डर से चलती है
एक लड़ाई है कलम की
अब कलम रूप बदलती है
(आशु)

Tuesday, June 7, 2016

वेश्या

एक नया रूप
नारी का देखो
कभी थी बेटी
किसी आँगन की
जो बिक गयी
दानव के हाथो
एक नया रूप
मानव का देखो
वो कोठे में बैठी
किये सिंगार
बिक रहा जिस्म
हर रात है देखो
नारी का यह
अवतार तो देखो
रोता ह्दय
चहरे पर मुस्कान
यह देखो
एक नया रूप
नारी का देखो

Saturday, June 4, 2016

एक पौध

एक कोमल सी कोपल
कल कुछ बढेगी
हरयाली लिए
एक पात लिए
जीवन में योगदान करेगी
चलो हम भी एक सकल्प ले
एक पौध लगाये आँगन में
हरा भरा संसार हमारा
मिलकर हाथ बढ़ाये
एक कोमल सी पौध लगाये