Saturday, May 9, 2015

माँ

माँ खुद पसीनें से तरबतर
पर मुझ पर पंखा डुलाते देखा है
खुद जग कर
मुझको सुलाता देखा है

खुद भूखा रह कर
मुझको खिलाते देखा है
पूँछने पर,पेट भरे होने का
बहाना करते देखा है।

मेरे दर्द में होने पर
माँ को रोते देखा है
मेरी सफलताओ में
उनकी आँखो को चमकते देखा है

मेरे घर देर आने पर
उनकी आँखो में इंतज़ार देखा है
मेरे न खाने पर
रात को जगाकर खिलते देखा है





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