Tuesday, April 11, 2017

प्रकृति की उंगलियां

उंगलिया पकड़ लो
और दिखा दो बचपन ए को
इस प्रकृति के भोर
के तारो को

अस्तित्व हनन
उनका जिन्होंने
जिह्नोने तम को
रौशन किया

प्रकृति की मधुर वीणा पर
नाचता हुआ नृतकप्रिय
मोहता जग को
प्रकृति की उंगली पकड़