माँ खुद पसीनें से तरबतर
पर मुझ पर पंखा डुलाते देखा है
खुद जग कर
मुझको सुलाता देखा है
खुद भूखा रह कर
मुझको खिलाते देखा है
पूँछने पर,पेट भरे होने का
बहाना करते देखा है।
मेरे दर्द में होने पर
माँ को रोते देखा है
मेरी सफलताओ में
उनकी आँखो को चमकते देखा है
मेरे घर देर आने पर
उनकी आँखो में इंतज़ार देखा है
मेरे न खाने पर
रात को जगाकर खिलते देखा है