रंग - वंग हो भंग संग में,
छोटा-बड़ा सब एक रंग में,
रंगो तनो और मनो रंगो,
नाचे सब एक संग में,
बड़े प्रेम से प्रेमी मिले,
रंगो के इस रंग-मंच में,
रंग-वंग हो भंग संग में,
रंगे हुए सब एक रंग में,
मीठा-सीठा खट्टा-वट्टा,
भूल गए सब रंग-वंग में,
ढूढ़ रही वो अपना प्रीतम,
पर रंगे हुए सब एक रंग में,
भंग पिये मतंग फिरे,
रंगो के इस रंग मंच में,
और पिये जा, और लिये जा,
रंगों के इस रंगा-रंग में,
होरी के प्रेम मिलन में।