Tuesday, October 21, 2014

दीपावली

                                        ,,,,,,,,,,,,,दीपावली,,,,,,,,,,,
दीये बिन कैसी  दीवाली ,
अब नहीं वैसी दीवाली ,
आधुनिक लईटो में अब दीवाली ,
दीपावली बन गयी दीवाली ,
बिन दीये कैसी  दीवाली ,
   
कुम्हार से पूछों  कैसी  दीवाली ,
 अब नहीं वैसी दीवाली,
दीयो की खेप लौ के लिए तरस रही 
जल बिन मीन सी दिख रही ,
अब नहीं वैसी दीवाली
            दीये बिन कैसी  दीवाली ,


Friday, October 3, 2014

नया सवेरा

                                 नया सवेरा…

आज कुछ नया हुआ ,
पर सूर्य वही चाँद वही ,
आज कुछ नया हुआ ,
चपको सा पर्यावरण बचा ,
 आज कुछ नया कर,
सपनो का हिन्दुस्तान बना ,
हटा दो  धूल '
जो पथ को धुमिल करे ,
दिन को दिवाली बना ,
सपत नही अब आग जला ,
सपनो का हिन्दुस्तान बना ,