Wednesday, May 21, 2014
Sunday, May 18, 2014
रोटी का टुकड़ा
रोटी का टुकड़ा
तड़पती धूप में ,
बूँद की चाहत लिए।
सूखे आँशु ,
पेट की भूख़ ने किए।
ठूठ सा ह्रदय लिए।
मुर्झाया बचपन ,
रोटी का टुकड़ा लिए।
दिलासे का भोजन ,
झूठे पत्तल लिए।
कड़काड़ती धूप मे,
हाथ पसारे हुए।
रोटी की आस में ,
टकटक निहारें हुए।
भूखे पेट ,
दुआए माँगते हुए।
मुर्झाया बचपन ,
रोटी का टुकड़ा लिए।
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