Friday, September 9, 2016

जय काली

जय काली जय काली
चीते चार्म की साड़ी वाली
नर मुंडो की माला धारी
जय काली जय काली

स्वंण सा चेहरा
रक्त सी आँखे
केश घटा से
चरण चाँद से
जय काली जय काली

ममता की मूरत
माँ की सूरत
प्रेम की गंगा
माँ चामुण्डा
जय काली जय काली

हज़ारो सूर्यो का तेज लिए
हाथ में खप्पर ढाल लिए
मुख  से जिसने
शाहत्र्य गजो को
रोष में जिसने चबा लिया

न जाने कितने बाहुबलियों का
सर जड़ मूल से उखाड़ लिया
हजारो चक्रो को जिसने
मुख में अपने समा लिया

जय काली जय काली
प्रेम की मूरत ,
माँ काली को
जिसने अपना मान लिया
पुत्र बनाकर माँ उनका जीवन निखार दिया